Niranjan Mishra
New Delhi, India
Niranjan Mishra
New Delhi, India
चला था अपने भविष्य को उज्ज्वल करने, पर देश के गर्तोन्मुख भविष्य ने रास्ता बदल दिया| सीए बनने का ख्वाब आँखों में लिए दिल्ली का रुख किया था, पर गन्दी सियासत और व्यवस्था के तले रौंदी जाती आम आदमी की जिंदगी ने एक ऐसा रास्ता अपनाने को मजबूर किया जिससे कि मै उनके मर्म को समझ सकूँ जिनकी कोई सुनता ही नही| क्योकि हम जमीन से उठे हुए लोग हैं, और इस हकीकत से भली भाँति वाकिफ हैं कि ''एक तरफ खड़े हैं रंगमहल जो आसमान को छूने वाले हैं, दूसरी तरफ़ खड़ी हैं झोपड़ी जिनके छप्पर चुने वाले हैं|'' वर्तमान में समाज की स्थिति यह है कि किसी गली से गुजरते वक्त कुछ ऐसे नज़ारे दिख जाते हैं जो कभी समाचार चैनलो या अखबारों की सुर्खियां बनते ही नहीं। कुछ इन्हीं नज़ारों ने मुझे भी इस तरफ मोड़ा कि मैं भी इन सब पर कुछ टिप्पणी कर सकूं।