Gunjan Satya
Varanasi, India
Gunjan Satya
Varanasi, India
माटी सा ये मानुष तन , फूँक लगे उड़ जाये रे , बूँद पड़े गल जाये रे , धुप लगे मुरझाये रे , ता पर मैँ करुँ ईत श्रीँगार कि पिया मन भाऊँ रे, क्षण भर का पता नहीँ चार दिन की जीवन खातीर लड़ मर जाऊँ रे । {{सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है}}